कभी -कभी हमें कोई राह नहीं सूझती ...हम अपने बनाये रास्तों में खुद ही उलझ कर रह जाते हैं ।जिंदगी वह नहीं जिसे हम अपने हिसाब से अपनी जरुरतों को देखते हुए पूरा करना चाहते हैं ।यह किसी पेनड्राइव में सुरीले मनचाहे गाने भर लेने जैसा नहीं है, यहाँ तो जिन्दगी रेडियो की तरह बजती है ।जहाँ जो गाने बजे उसे सुनकर आनंदित होना होता है या फिर  चैनल बदल लेना होता है...आप कोई भी चैनल चलाओ पर उसके तो प्रोग्राम फिक्स होते हैं।...कभी कभार ही आपका पसन्दीदा गाना बज सकता है हमेशा नहीं (जिंदगी के उतार चढ़ाव जैसे)मिताली की जिंदगी में अरमान की जो जगह है,वह उसकी रिक्तता में चाह कर भी नहीं भर पाती। क्योंकि उसने अरमान से उम्मीदों के पुल की चाह कर ली थी अपने नदी जैसे जीवन के लिए। ये उम्मीदें किसी को भी नहीं छोड़ती बहुत ही स्वार्थी हैं ये  उम्मीदें कुछ न कुछ पाने की चाह रखती हैं,जिसके साथ हम जुड़ते हैं उनसे ये भी जुड़ जाती है किसी न किसी रूप में...पर ये जबतक रहती हैं तब तक तो कुछ नहीं बिगड़ता  ....जब ये टूटती हैं न तो बहुत दर्द होता है.....तकलीफ भी होती है जैसे कोई दिल टूटा हो.....ऐसा दर्द जिसके घाव दिखते नहीं.... Hindi story "Rishta"

मिताली अपने दिल को समझाना चाहती है पर समझा नहीं पाती। वह अरमान से कहना चाहती  है कि,नाजुक  सा हो जाता है दिल मेरा जब तुम्हें देखती हूँ ,वरना मेरे दिल सा सख्त कोई चीज़ मैंने नहीं देखा ,तुम कहते हो मुझे अपनी आरज़ू,तो आरज़ू की शक्ल में मुझे ही देखना कर लेना ...जितना भी गुस्सा करना होगा,पर प्यार भी मुझी से करना ...ख्वाब तुम्हारे मुझसे जुड़े थे किस कदर जरा... अपने पीछे मुड़ के देखना अपनी शिद्दत को ढूढ़ना जितनी मुझसे रखते थे और,पूछना उससे वो कैसे कम हो गई मेरे लिए आगे बढ़ने की चाहत में कितने दूर निकल आए कोई पीछे छूट गया तुम्हारे साथ चलते -चलतेकभी बाँध कर नहीं रखना मुझे तुम्हारे दिल के परिंदे को पर,मेरी डोर जुड़ी है तुमसे ये याद रख सको तो रखना मेरी शिकायतें,मेरा रोना तुम्हारे ही आगे क्यों है ये सोच सको तो सोचना तुम्हें तो मुझसे जुड़े ज़ज्बात पढ़ने की फुर्सत नहीं ,कोई बात नहीं बस याद कर सको तो अपनी बातों अपनी कसमों, वादों को करना मैं कल भी वही थी आज भी वही हूँ पर,कल शायद वही न रहूं मेरे दिल को पूरी तरह पत्थर न बना देना कि धड़कना ही भूल जाए तुम्हारे नाम पर ....मिताली बहुत कुछ कहना चाहती है अरमान से पर उसे लगता है कि वह अब कभी नहीं कह पाएगी ....Hindi story "Rishta"

                                      Dr. SANGITA 


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