अपने आपको शीशे में देखकर यूँ लगता है कि अभी  वो हँसी मेरे चेहरे पर खिल जायेगी जो कभी मेरे चेहरे पर फिरती रहती थी। पर.. ऐसा तो कुछ भी नही है जो मैं अपने आस -पास खिलता हुआ देखूँ इन कलियों के अलावा। आज भी वो कुछ अनकहे शब्द मेरे मन मस्तिष्क को छेड़ते हैं। अस्मि अपने मन को ही समझाने  लगी।इधर मोह अपने आपसे बातें करती ही जाती है थकती ही नही। कुछ भी हो जाए ड्राइव करते हुए भी वह कहीं और ही सफर करती रहती है कितनी ही बार वो बची है लड़ने -भिड़ने से वही जानती है फिर भी वह सुधरती नहीं। बोलती है मैं अब सुधर कर क्या करूँगी ये बिगडैल ऐसे ही कितनी अच्छी लगती है।अस्मि भी तो अब कुछ नही कहती। कह कह कर तो वह थक चुकी है कि शादी की उमर बीती जा रही है बहना मेरी छोड़ तू अपनी तो जिंदगी सुधार ले। पर नही ,वह सुने तब तो। 
            मोह किसी से कुछ नही कहती पर सुनती सबकी है। सुनकर अनसुना करना भी उसे खूब आता है। पर अपनी बहन की वह हमेशा सुनती है... कहानी। आज फिर बहन से लिपट कर मोह उसकी जिंदगी के कुछ पन्ने खोलने के लिए विवश करने लगी। अस्मि को भी अपनी कहानी अपने पर बीती कहानी सुना कर कुछ हल्का महसूस होता है। या यूँ कहें तो उसे माहिर को याद करने का सुख मिलता है। जो उसे कभी नही मिल पाया। मोह ने दी के गले में हाथ डालते हुए पूछा -दी आपने माहिर को कभी कुछ कहा क्यों नहीं उनके घर वाले आपको क्यों नही पसंद करते थे। आप तो इतनी सुंदर हैं उन्हें क्या चाहिए था हैसियत। और मोह भावुक होकर माहिर को ही भला -बुरा कहने लगती तब अस्मि उसे चुप कराते हुए हमेशा की तरह बोलती -तो क्या हुआ जाने दे... शायद वो मेरी किस्मत में नही था। मैंने तो मान लिया अब तूँ भी मान ले।आज कल पता नहीं क्यों कोई अनजानी सी खुशबू मेरे चारो ओर रहती है। मैं खुश तो नही पर उसकी खुशबू में खोती जाती हूँ.... काश मैं तुझे बता पाती वो सारी फीलिंग्स जो मैं माहिर के लिए महसूस करती थी। मैंने उससे कभी नही कहा पर.....I had to say, I would say...that I love you very much mahir.  I want to feel you like my breath always…I want to tell you that you are mine and only mine. Can I tell you?  I know you are not mine...but I want to tell you that you are my world, wherever I am, you are there.  You are not mine but I want to be yours and only yours.. I know that I cannot say this to anyone, there is no one to whom I can say what I want to say openly and completely... like between him and me  No matter the difference, can I trust you enough to say anything?
         उसकी आँखों में डूबना चाहती थी मैं। वो जब भी सामने आता था, उससे सबकुछ कह जाना चाहती थी पर कभी नही कह पायी मोह .... कभी नहीं। तुझे पता है मैं ये सबकुछ कहना चाहती थी पर शायद किसी से न कह पाऊँ। पर आजकल  यूँ ही कुछ नया सा मेरी आँखों में नजर आता है पर उसका चेहरा नहीं।मोह दी की बातें सुनकर भीतर तक रोमांच से भर गई और दी को सहलाते हुए साहिल के बारे में सोचने लगी जो आजकल उसकी धड़कन बना हुआ था। ये धड़कन कब तक रहेगी ये तो उसे भी नहीं पता... 

        आज कल यूँ ही (these days just like this) story 
                           Dr. Sangita

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