हजारों की भीड़ में दिल किसी एक से गर बात करना चाहे तो
बड़ी नासमझ होती हैं ये प्यार करने वालियाँ
सबकुछ लुटाकर भी लूटने को तैयार रहती हैं
प्यार के दो पल के तरसते लम्हों के लिए
अपनी आँखों में उमड़ते बादल बहार रखती हैं
अब तुमसे कुछ भी कहने को दिल नही करता
दिल का ऐसा न करना बहुत कुछ कहता है
बड़ी शिद्दत से इंतजार किया है तूँ आकर मुझे गले लगाए
गहरी आँखों को पढ़े मेरी और अपनी भी कुछ सुनाए
वो आया तो पर, आकर यूँ गुजर गया यूँ वक़्त सा
कहने को क्या कहूँ किससे वो कितना मुझे सताए
क्या कहूँ ये दिल कभी नही समझ पाता कि वो एक बच्ची की माँ की तरह धड़के।वह तो उसी तरह से धड़कता है जिस धड़कन की ताल पर मैंने उसे बांध दिया था।इसके अलावा वह कुछ नंत ही नही
इतने लोगों के बीच दिल उसी से बात करना चाहता है जिसके पास बात करने का टाइम ही नही
जिंदगी में गम बहुत हैं पर तेरे आगे सब कम हैं
कभी कभी हम जो नही चाहते वो किसी से कह नही पाते,और जब नही कह पाते तो सोचते हैं कि काश कोई बिना कहे ही समझ जाता
उलझनें बहुत सी हैं सुलझने वाली
उदासियों ने भर दिया है कमरा मेरा तुम झरोखों से आकर मुझे छू लो
प्रेम कोई शोर नहीं जो सुनाई दे,प्रेम तो गूंगा होता है।
समुंदर से हो गया हूँ मैं फैला हूँ मैं ही मैं पर बह नही सकता
थोड़ा सा फोन को किनारे रख कर पौधों को भी पेड़ बनने की प्रक्रिया में योगदान जरूर देना चाहिए।किसी और पर यह कार्य टालने से अच्छा है पहल करें... कुछ नही तो कभी चिलचिलाती धूप में ए सी गाड़ी से बाहर आने का तत्क्षण हुआ अनुभव याद कर लें .....धरती की तपन बढ़ने से कोई रो तो नहीं सकता ,पर पेड़ों की छांव में खड़े होने का सुख तो पा सकता है।
प्रकृति कोई मोम की गुड़िया नही,जिसे जैसा चाहें रखलें।
यह प्रकृति है ।जैसा वह चाहेगी वैसा हमें रहना पड़ेगा,प्रकृति ने बहुत से मौके दिए हैं।पर,हम न जाने कब समझेंगे।
बहुत ही उलझी सी लगती हैं साँसे मेरी ,पर,तेरी एक आवाज इन्हें रेशम बना देती हैं
स्त्रियां अपने पतियों के लिए इतने सारे व्रत उपवास,नियम विधि विधान क्यों करती हैं ...?जब सती प्रथा थी और जौहर प्रथा प्रचलित थी तब औरतों को ही जलना पड़ता था पुरुषों को नही ।पुरुष की श्रेष्ठता यह भी तय हुई।तब स्त्रियां। व्रत आदि जोर शोर से करने लगे अपने इष्ट की शरण में जाकर प्रार्थनाएं करने लगीं।कि उनका पति जीवित रहे ,उनका सौभाग्य बना रहे।क्योंकि पति के मृत्य के बाद पत्नी के हर एक अरमान ,सपने,लालसाएं,रंग ,रूप,सजना संवरना सबकी मृत्यु हो जाती है।
आज भी कितना बदल पाया है...?आज पति की मृत्यु के बाद उन्हें जलना नहीं पड़ता है, वो हर दूसरे विवाह कर लें तो सौभाग्य लौट आता है।पर,जो विधवा हैं.... उनसे कोई पूछे...?औरतों को हमेशा हासिये पर रखा जाता है।केंद्र में होते हुए भी वह हासिये तक पहुँचा दिया जाता है।औरतों ने कठोर नियम-व्रत का पालन किया की उनके पति की लंबी आयु हो ताकि वह भी सुहागन रह सकें,जी सकें।
you and you
ऐसा भी नही है कि पत्नियां अपने पतियों से प्यार नही करतीं।करती हैं, पर अपना सर्वस्व त्याग कर।कुछ पुरुष भी हैं जिनके भीतर स्त्रीत्व के गुण विद्यमान होते हैं जो अपनी पत्नी के लिए वह सबकुछ करने को तैयार रहते हैं, पर ऐसे पुरुषों को गिनने के लिए एक हाथ की उंगलियां ही काफी होंगी।नारी हजार सवाल न कर सकें इसलिए समय -समय पर उन्हें देवी बना दिया जाता है।जहाँ उनकी सारी आशाएं भी ध्वस्त हो जाती हैं, एक जर्जर भवन की तरह।फिर भी,कुछ भी बदलता नही है....नारी को भी उसकी जिंदगी जीने के लिए अवसर मिलना चाहिए,और विश्वास करना चाहिए कि जिन्हें यह अवसर मिलता है वह कई गुना उत्साह से अपने परिवार के लिए सबला बन जाती हैं।वह भटकती नहीं।ढूंढ लेती हैं खुद को....
मेरी ही कलम से. .
तुमसे किये चैटिंग को बार बार पढ़ना ....बार बार उसी एहसास को जीने जैसा लगता है।किसी भी पल दिल को सुकून नहीं मिलता ।ऊर्जाहीन होकर जीना बस शरीर को ढोने जैसा ही लगता है
मिलन के पल बिछड़ने के बाद याद आते हैं
संयोग की यादें दिल मे बसी होती हैं जो दिल को सुकून देती हैं,और वियोग के हर क्षण उसी दिल को बार बार आहत करते हैं।मन भी वियोगी सा उसी में लीन रहता है।
एक राजा था। उसकी एक रानी थी।रानी को बहुत अच्छे से पता था कि राजा किसी और से प्यार करते थे ।फिर भी रानी बहुत ही निश्चिंत थी।उसके दरबार मे सभी को यह बात पता थी पर कोई कुछ नही कर सकता था।एक दिन एक दासी से रहा नही गया उसने रानी से यह बात पूछी।रानी ने कहा ,राजा सिंहासन पर मुझे अपने साथ बिठाते हैं।जिसे राजा चाहते हैं वो किसी और को चाहती है।राजा के प्रति मैं समर्पित हूँ। कोई छुपकर राजा की मानसिक और शारिरिक जरूरते तो पूरी कर देगा।पर,समाज इसे कभी सही नहीं कहेगा।राजा साहब महारानी मुझे ही बुलाते हैं।राजा साहब किसी का उपभोग तो कर सकते हैं पर उसको समाज में स्वीकार नही कर सकते।बोलने वाले बहुत होते हैं, पर जो करके दिखाए वही समाज मेंअपनी जगह बनाते हैं...सम्बन्ध अक्सर दिखावे वाले ही पवित्र समझे जाते हैं।समाज के लिए सम्बन्ध सिर्फ शरीर का ही मान्य होता है... लोग फिरभी जीते हैं भले ही किसी के बिना जीना मुश्किल हो।
-संगीता
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