आवश्यक कार्य हेतु पिछले सप्ताह ग्वालियर(MP, India)





जाना हुआ.......फिर क्या...ऐतिहासिक स्थल ने मुझे अपनी ओर खींचना शुरू कर दिया lसमय निकाल कर ग्वालियर फोर्ट भी गईl लाल बलुये पत्थर से बनाया गया ग्वालियर किला...जिसकी नींव सूरज सेन कच्छवाहा ने रखी थीl बाद में मानसिंह तोमर ने भी किले को एक नया रूप दिया थाl यह जो किला बना है ऊँचे पठार पर है ....और उस तक पहुंचने के लिए दो रास्ते हैंl पहले रास्ते 'ग्वालियर गेट' से ही जाना हुआ.. ग्वालियर का यह किला, जिसके प्रवेश द्वार तक पहुँच कर ये लगता है कि किले की ऊँचाई तक कैसे पहुँचा जायेगा, मन साहस खोने वाला ही होता है, तबतक टेक्सी वाले पूछने लगते हैं कि ऊपर तक चलेंगे आपको छोड़ दें....? तब ये लगने लगता है कि नहीं.....थके हुए कदमों से ऊपर तक पहुचेंगे वो ठीक हैlपर, किले को शुरुआत से ही देखते हुए ही जाना है... कुछ भी मिस नहीं करना करना हैl ऐसा मुझे लगाl किसी और को क्या लगता, ये तो नहीं कह सकतीl

           किले को शुरुआत से देखने पर लगता है कि,इस पूरे पहाड़ को मजबूत नींव बनाकर ही किले का निर्माण कराया गया थाl.......यहां जब हम किले के अंदर प्रवेश करते हैं,तो प्रवेश द्वार के बाद पहले एक मंदिर दिखता है,  जो चतुर्भुज मंदिर हैlचतुर्भुज मंदिर श्री विष्णु को समर्पित हैl कहते हैं इस मंदिर का निर्माण पांचवी और छठी शताब्दी में कराया गया थाl  मंदिर की दीवार पर ' शून्य' (0) उकेरा गया है जो प्राचीन है और शायद पहली बार इसका अंकन हुआ था  ....किले के भीतरी हिस्सों में मध्यकालीन स्थापत्य के अद्भुत नमूने स्थित है.....इसी में स्थित मानसिंह महल और इस महल के बाहरी भाग में बहुत ही सुंदर आकृतियों को उभारा गया हैl यहाँ संग्रहालय भी है.....बगल में ही बहुत सारे दुर्लभ प्राचीन मूर्तियां रखी गयी हैं l इन्हें देखें तो ऐसा लगता है कि....जीव, जंतु, मानव, पेड़ -पौधे अचानक से पत्थर हो गए हों और कारीगरों ने उन्हें यथा स्थान जोड़ दिया है.... ये भाव- भंगिमा, आभूषणों की डिजाइन, सुंदर आकृतियाँ... तो यही कहती हैं.... कितनी कला रही होगी उन हाथों में....अद्भुत 🙂 Dr. Sangita

          

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