हमारा जीवन,हमारी भूमि,हमारी परिस्थितियां और हम नित्य बदल रहे हैं,और यह बदलता परिदृश्य भयावता की ओर अग्रसर हो रहा हैl एक जलता हुआ प्रसंग और उस पर पेट्रोल सा प्रश्न कि,इसके लिए उत्तरदायी कौन है?...कौन?आश्चर्य की बात है कि,उत्तर भी हम ही हैंl हम बात करते हैं भूमि की ..  भूमि और इस भूमि को घेरे पर्यावरण कीl अभी हाल ही में हमने विश्व पर्यावरण दिवस की ढेर सारी शुभकामनाएं आभासी दुनिया में दिए होंगेl जमीन पर कितने पौधों ने जगह पाई और कितने अपने स्थान पर बने रहेंगे..?यह भी हमारे ही हाथ में हैl हमारे हाथ में कब तक रहेगा ...?यह कुछ भी नहीं कहा जा सकताl क्योंकि सब कुछ बहुत तेजी से गुजर रहा हैl इस बार की भीषण गर्मी और बढ़ते तापमान ने यह एहसास करा दिया कि धरती का गोला सूरज होता जा रहा हैl आग की लपटे जैसे धरती पर उतर आई हों l AC में रहने वाला व्यक्ति मौसम के प्रभाव से वंचित रहता हैl अधिक गर्मी में ठंडक की व्यवस्था और अधिक ठंड में गर्मी की व्यवस्था बना लेने में सक्षम व्यक्ति को पर्यावरण की कुछ कुछ खास खबर नहीं होती l मध्य और निम्न वर्ग सारे मौसम का हाल जानते हैंl वह ताप और शीत खुद पर प्रत्यक्ष रूप से पाते हैंl वह उससे बच नहीं पाते lअब बात करते हैं पर्यावरण संरक्षण कीl 

               इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस 2024 की थीम "भूमि बहाली,मरुस्थलीकरण और सूखे के प्रति लचीलापन" है इस वर्ष का नारा है "हमारी भूमि ,हमारा भविष्य,हम हैं #जेनरेशन रेस्टोरेशन" इसका अर्थ तो हम समझ सकते हैंl कभी-कभी गूगल देव का सहारा भी लिया जा सकता है,इसे समझने के लिएl वैश्विक स्तर पर जलवायु परिवर्तन एक ज्वलंत मुद्दा हैl जिससे संपूर्ण प्रजातियां प्रभावित हो रही हैंl इससे भूमि और पारिस्थितिकी तंत्र पर भी बुरा प्रभाव पड़ रहा हैl इस जैव विविधता और जलवायु को परिवर्तित और दूषित करने वाले तन्त्रों की पहचान कर उसे पृथ्वी और प्राणियों के अनुकूल बनाने के लिए पूरा विश्व प्रतिबद्ध हैl किंतु,यह पर्याप्त नहीं हैl विश्व में कितने देश मरुस्थलीकरण से जूझ रहे हैंl कितने देश प्राकृतिक आपदाओं की चपेट में हैंl कितने ही देश अकाल की मार से पीड़ित हैंl कितने ही देश विकास की राह में पर्यावरण  का प्रदूषित होना स्वाभाविक ही समझते हैंl कितने ही देश कार्बन उत्सर्जन पर चाह कर भी कंट्रोल नहीं कर पा रहे हैंl कितने ही देश में विकास के नाम पर प्राकृतिक संसाधनों पर पढ़ते प्रतिकूल प्रभावों को ना चाहते हुए भी नजरअंदाज कर दिया जाता हैlजाने-अनजाने हम पारिस्थितिकी तंत्र के क्षरण के लिए जिम्मेदार हैंl विश्व भर में अनगिनत मुहिम,कार्यक्रम ,अभियान चलाए जा रहे हैंl कि,पृथ्वी पर निरंतर बढ़ते तापमान को संयमित किया जा सकेl नियंत्रित किया जा सकेl पर ,...क्या यह काफी है ...?आज सबसे अधिक आवश्यकता है कार्बन उत्सर्जन को नियंत्रित करनाl ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ते कारणों पर लगाम लगानाl यह वैश्विक सहयोग के बिना असंभव हैl

         जब हम भारतीय परिवेश में पर्यावरण और पारिस्थितिकी की बात करते हैं तो यहां की जैव विविधता हमें आकर्षित करती हैl कार्बन उत्सर्जन के प्रति शासन की मंशा स्पष्ट है कि,हम इस ओर वैश्विक सहयोग की बात करते हैंl हम पर्यावरण का एक खास हिस्सा हैं और पर्यावरण की क्षति भी हमारी ही वजह से हैl पर्यावरण की समस्याओं के रूप में बहुत से प्रदूषण जैसे कि वायु प्रदूषण,जल प्रदूषण,रेडियो एक्टिव प्रभाव,आपदाएं, बाढ़ ,जंगल की आग,सूखा,प्लास्टिक का बढ़ता उपयोग,सड़कों का चौड़ीकरण,समुचित कचरा प्रबंधन ना होना,जल संरक्षण की कमी ,मौसम चक्र में परिवर्तन,निरंतर बढ़ता तापमान,वनों की कटाई और बहुत कुछ हैl जो सुरसा सा मुंह लिए खड़ा हैl इससे निपटने के लिए शासन अपने स्तर से उचित कदम उठाता रहेगाlइसमें कोई संदेह नहीं हैl किंतु ,यहां हम एक व्यक्ति के रूप में पर्यावरण के प्रति कितने संवेदनशील हैं...?यह शोचनीय हैl इसके लिए वृहद स्तर पर पौधरोपण अभियान चलाया जाना पहला विकल्प हैl जिसे ग्रामीण व शहरी परिवेश दोनों को ध्यान में रखकर चलाया जाना आवश्यक हैl पर्यावरण मित्र पौधों की पहचान कर उसे समुचित स्थान पर रोप कर उसको समुचित देखभाल की आवश्यकता प्रमुख कार्य हैl जैसा कि,हम देखते आ रहे हैं कि ,पौधरोपण अभियान क्षेत्र को हरियाली से भर देने के उद्देश्य से ही किया गया हैl किंतु,मात्र हरियाली ही उद्देश्य नहीं होना चाहिएl जितने पौधे हम रोपते हैं उनमें से कितने पौधे पर्यावरण के अनुकूल रहेंगे..?इसका ध्यान करके ही पौधे अधिक से अधिक रोपेँ जाने चाहिएl व्यक्तिगत स्तर पर एक व्यक्ति यदि वर्ष में पांच पौधे रोपे और उसे संरक्षण प्रदान करे...और इसके लिए लोगों को प्रेरित करे तो यह प्रत्येक व्यक्ति के लिए अनुकरणीय हो सकता हैl हमारे क्षेत्र हमारी  सड़कें,हमारे हाईवे अन्य स्थलों की पहचान कर विशाल वृक्षों के पौधे रोपे जा सकते हैंl जो भविष्य में शुद्ध वायु प्रदान कर सकेंl जहां आवश्यकता है वहां पौधे जरूर रोपे जाएंl यह प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य होना चाहिए और एक सामाजिक प्राणी होने के कारण मुख्य दायित्व भीl प्रत्येक वृक्ष को सरकार की निगरानी प्राप्त हो,रोड चौड़ी की जाए,पर सड़के पेड़ों को धराशाई करके निर्मित की जाए तो ऐसी सड़कों पर यातायात की समुचित व्यवस्था की जानी चाहिएl न कि पेड़ों को काटा जाना चाहिए पेड़ मात्रा पेड़ ही नहीं एक जीवित व्यक्ति सा माना जाना चाहिएl जिससे उसको क्षति पहुंचाने वालों को कठोर दंड भी मिलना  चाहिएl  पौधे रोपितकर उसे वृक्ष बनने तक देखभाल करने की सजा भी होनी चाहिएlशासन की कड़ी निगरानी ,वनों की कटाई पर रोक बहुत ही आवश्यक है lजहां पेड़ों के लिए जगह ना हो वहां छोटे पौधे रोपे जाने चाहिएlदेखा जाए तो प्रतिवर्ष करोड़ों पौधे रोपे जा रहे हैंlकिंतु,यह पौधे किस प्रतिशत में पेड़ बन पाते हैं इसका आंकड़ा भी समय-समय पर लेना आवश्यक हैl पेड़ों की जीवितता का प्रतिशत बढ़ाने का कार्य हमारा आपका ही हैlइससे हम बच नहीं फिर सकतेl पर्यावरण पर किसी का एकाधिकार नहीं हैl वह सब को ही प्रभावित करता है यदि हम ठान लें कि इस धरा को हरा- भरा ,ग्रीन ग्लोब बनाने के लिए अपना शत प्रतिशत देंगे तो यह ग्लोब एक दिन ग्रीन और ब्लू ही दिखाई देगा बंजर सा पीला गेंद नहीं l हमारा देश तो अभी भी प्रचुर  वन संपदा से समृद्ध हैl हमें यह समृद्धि बरकरार रखनी हैl पर्यावरण विरोधी गतिविधियों से दूरी बनाकर पर्यावरण के मित्र बनकर,साथी बनाकर पर ध्यान रहे हमें हरियाली ही नहीं व्यवस्थित हरियाली लानी है इस पृथ्वी को ग्रीन ग्लोब बनते देखना हैl मैंने तो आज से संकल्प किया है..और आपने...? 

                                     Dr.Sangita

                                        Luckno

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